डमरू घनाक्षरी छंद


     




     डमरू घनाक्षरी छन्द

          अमात्रिक छंद

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छंद विधान - डमरू घनाक्षरी छंद 32 वर्ण होते हैं । इसमें समतुकांत चार चरण होते हैं।इसकी प्रत्येक पंक्ति में 16-16 वर्ण होते हैं।इन दोनों के योग से प्रत्येक चरण में 32 वर्ण होते हैं।16, 16 वर्णों पर यति अनिवार्य  8, 8, 8, 8 पर यति उत्तम मानी गई है।

ध्यान देने योग्य बात - इसके सभी वर्ण लघु तथा मात्रा रहित होने चाहिए। इस घनाक्षरी में अकारांत शब्दों का प्रयोग मान्य होता है।लय और प्रवाह मुख्य।वर्ण संयोजन --- 

 2 2 2 2

 3 3 2 

 2 3 3

  


-: *डमरू घनाक्षरी छंद* :-     

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 1.


नटखट मत बन,सरल सरस मन।

सजग सहज रह,यह जग उपवन।


सतत मनन कर,पथ पर पग धर।

सपन नयन भर,रख बस यह धन। 


तरल हृदय रख,सजल नयन लख।

पर जन उर बस,नत कर यह तन।


अमल कमल सम,अचल अटल दम।।

हर पल हर क्षण,मलय पवन बन।।

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2.


हर हर मन हर,दरस नयन भर।

सरस सहज वह,अलख निरख मन।।


अटक भटक मत,उर मन कर  रत।

भजन सतत कर,सत पथ गह जन।।


कपट तमस सब,भव मद तज अब।

प्रणय सुमन धर,चरण कमल धन।।


अचरज मत कर, कण-कण हर-हर।

सच वह भ्रम जग,लगन मगन तन।।

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3.


भटक-भटक कर,पग पथ मत धर।

मद तम गह मन,भव सर भय अब।।


अहम करत मन ,वहम बनत धन

नयन असत लख,पतन जतन तब।।


अलस अनय बस,जग रह परवश।

अजगर बनकर,पड़त रहत जब।।


अगर-मगर कर,सत पथ तज कर।

कपट हृदय बस,पतन करत सब।।




अभिलाषा चौहान 

टिप्पणियाँ

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" शुक्रवार 06 सितंबर 2024 को लिंक की जाएगी ....  http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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  2. उत्तर
    1. सहृदय आभार आदरणीय आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए प्रेरणास्रोत है सादर

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  3. डमरू घनाक्षरी छन्द से परिचय करवाने और उसमें लिखी रचना का आस्वादन करवाने के लिए शुक्रिया अभिलाषा जी !

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सहृदय आभार अनीता जी आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए प्रेरणास्रोत है सादर

      हटाएं
  4. उत्तर
    1. सहृदय आभार आदरणीय आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए प्रेरणास्रोत है सादर

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