सूर घनाक्षरी छंद


सूर घनाक्षरी छन्द का विधान

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घनाक्षरी छन्द की ही तरह यह भी चार चरणों में लिखा जाने वाला सम तुकांत छन्द है।इसके प्रत्येक चरण में कुल 30 वर्ण होते हैं।

 8,8,8,6 पर यति अनिवार्य है।पदांत में 122( यगण) या 212 ( रगण ) रखा जा सकता है।

लय, प्रवाह, भाव और गेयता पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाना चाहिए।

विषम - सम- विषम वर्जित

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पोष माघ घोर ठंड, थर-थर कांपे तन,

पवन के चले तीर ,धूप अलसाती।

सूर्य देव छुपे छुपे,कोहरे से ढके ढके।

ठंडी ठंडी जले आग, नहीं गरमाती।

मावठ हो जोर-जोर,ओले करें कैसा शोर।

खेत-खेत पड़े पाला,कृषि मुरझाती।

बच्चे-बूढ़े काँप रहे,बिस्तर से झांँक रहे।

किट किट दाँत बजे ,नींद नहीं आती।





अभिलाषा चौहान

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