चकोर सवैया






"चकोर सवैया "

यह वर्णिक छंद है।इस छंद में चार चरण होते हैं। प्रत्येक चरण में सात भगण और गुरू-लघु की

यति से 23 वर्ण होते हैं।इसका प्रमुख गुण इसकी गेयता है।

वर्ण गणना विधान -

211 211 211 211 211 211 211 21

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राम रटे रसना नित ही मन में बसते सबके बस राम।

मोह मिटे सब क्षोभ मिटे मिटता तन से मन से रति काम।

मोक्ष मिले भव सागर से मिलता प्रभु के चरणों बस धाम।

राम वही घनश्याम वही धर ध्यान सदा जप लो हरि नाम।

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आज विराजत राम लला पुर,मंदिर सुंदर निर्मित आज।

मंडप अद्भुत शिल्प मनोहर,संत उमंगित पूरण काज।

विश्व करे जयकार लगे हर ओर सुहावत राम सुराज।

ढोल मृदंग बजे चहुँ ओर गँवे नित

गीत बजें सब साज।


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राम सिया अति सुन्दर शोभित ,देख रहे पुर के सब लोग।

आनन पंकज रूप असीम सु, हास सजे तन सज्जित जोग।

भाग्य जगे उनके जिनके बन, चातक रूप करें रस भोग।

भक्त सदा मन राम रखें उर, प्रेम बसे मिटते सब रोग।

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राम पधार रहे पुर में मन, फूल खिले उर हर्षित जान।

साध सधी प्रण पूर्ण हुआ जब, मंदिर राम बना पहचान।

दीप जले हर ओर सखी जग, में बढ़ता अब भारत मान।

राम सिया अति सुन्दर शोभित, संत करें उनका जयगान।

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कोशल के अब भाग्य जगे जब मंदिर निर्मित अद्भुत आज।

शिल्प अनूप मनोहर सुंदर गूँज रहे सरयू तट साज।

राम सुशोभित मंदिर में अब इच्छित स्थापित राम सुराज।

भाग्य जगे अब भारत के सपना सच हो बनते सब काज।

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अभिलाषा चौहान

स्वरचित 

टिप्पणियाँ

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" गुरुवार 18 जनवरी 2024 को लिंक की जाएगी ....  http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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  2. वाह! सखी बहुत खूबसूरत सृजन!

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  3. वाह!!!
    बहुत ही मनभावन अद्भुत सृजन ।

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  4. बहुत अच्छे चकोर सवैया,,, बिल्कुल चकोर सी प्यारी,,,

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