वर्ण पिरामिड -अभिलाषा चौहान
(श्राप)
है
श्राप
अधर्मी
दुराचारी
दुष्ट-प्रवृति
स्वार्थ से ग्रसित
सिसके मानवता।
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(दुष्ट)
है
दुष्ट
कलंक
जड़ काटे
समाज त्रस्त
नैतिकता ध्वस्त
मानवता पीड़ित।
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(दुख)
है
दुख
तिमिर
झंझावात
विधि-प्रहार
कठोर-आघात
दुर्दिनों की आहट।
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(शूल)
है
शूल
गरीबी
आरक्षण
बेरोजगारी
जातिगत-भेद
दलीय राजनीति।
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(राह)
है
राह
जीवन
कष्टकारी
संघर्ष-अति
उद्देश्य-कठिन
संसार का समर।
है
राह
सुगम
ईश-भक्ति
बंधन-मुक्ति
देह-आवरण
मोह-माया संसार।
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(सूर्य)
है
सूर्य
पालक
संचालक
संसार-सृष्टि
जीवन-आधार
अंधकार-संहार।
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(दान)
है
दान
महान
परमार्थ
परोपकार
मानव-कल्याण
समत्व का प्रसार।
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(श्रम)
हो
श्रम
सेवार्थ
परमार्थ
परोपकार
मानव-कल्याण
जगत का उत्थान।
है
श्रम
सार्थक
स्वाभिमान
स्वावलंबन
उद्देश्य फलित
जीवन का आधार।
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वर्ण पिरामिड सात पंक्तियों की छंदमुक्त रचना है। इसमें प्रथम पंक्ति में एक वर्ण,दूसरी में दो वर्ण,तीसरी में तीन वर्ण ,चौथी में चार,पाँचवी में पाँच,छठवीं में छह तथा सातवीं में सात वर्ण आते हैं। प्रत्येक पंक्ति पूर्ण होती है।जिस शब्द को आधार बनाकर इसकी रचना की जाती है,वह द्वितीय पंक्ति में आता है।उस शब्द का भाव पूरी रचना में अभिव्यक्त हो ,यही इसकी विशेषता है।एक पंक्ति को तोड़ कर सात पंक्तियों में लिखना वर्ण पिरामिड नहीं है।बल्कि हर पंक्ति अपने आप में स्वतंत्र हो लेकिन मुख्य शब्द के भाव और सौंदर्य को अभिव्यक्त करने वाली हो। मैंने भी एक प्रयास किया है।कितना सफल हुई ,ये आप बताएँ।
अभिलाषा चौहान
सहृदय आभार आदरणीया सादर
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (20-9-22} को "मानवता है भंग"(चर्चा अंक 4557) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
सहृदय आभार सखी सादर
हटाएंसार्थकता से परिपूर्ण विविधता लिए अत्यंत सुंदर वर्ण पिरामिड सखी !
जवाब देंहटाएंस्नेहिल प्रतिक्रिया पाकर धन्य हुई सखी
हटाएंसहृदय आभार सादर
मुझे तो सब सार्थक ही लग रहे हैं । इस विधा से ज्यादा परिचय नहीं है । बढ़िया प्रयास ।।
जवाब देंहटाएंआपकी प्रेरणादायक प्रतिक्रिया पाकर धन्य हुई आदरणीया, सहृदय आभार सादर
हटाएंबेहतरीन
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर, सारमय पिरामिड लेखन ।
जवाब देंहटाएंकृपया पहले वाले में छठी पंक्ति देख लें सखी ।