मौन मन में धर लिया है।
अधखिली कोमल कली का
रूप सारा हर लिया है
पैर पायल बाँध बेड़ी
बोझ सिर पर मढ़ दिया है।
ढूँढती अस्तित्व अपना
बीनती सपनों के पंख
मूक बधिरों से जगत में
फूँकती वह कितने शंख
बंधनों के जाल उलझी
मौन मन में धर लिया है।
खेलती गुड़िया सलोनी
है बड़ी मासूम भोली
भाग्य लिखते हैं विधाता
और जलते स्वप्न होली
बाँधते दायित्व उसको
घूँट कड़वा ही पिया है।
शूल पथ में हो बिछे या
धूप तन को छेदती है
आँख में सागर समेटे
दर्द से हिय भेदती है
शिशु सुता की गोद में दे
भार माँ का धर दिया है।।
अभिलाषा चौहान
भाग्य लिखते हैं विधाता
जवाब देंहटाएं'और जलते स्वप्न होली'। वाह क्या बात है!
सहृदय आभार आदरणीय सादर
हटाएंआंख में सागर समेटे,दर्द से हिय भेदती बहुत खूब
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार सखी सादर
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (24-08-2022) को "उमड़-घुमड़ कर बादल छाये" (चर्चा अंक 4531) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
कृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सहृदय आभार आदरणीय सादर
हटाएं
जवाब देंहटाएंशूल पथ में हो बिछे या
धूप तन को छेदती है
आँख में सागर समेटे
दर्द से हिय भेदती है
शिशु सुता की गोद में दे
भार माँ का धर दिया है।।..बहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति।
सहृदय आभार सखी सादर
हटाएंखेलती गुड़िया सलोनी
जवाब देंहटाएंहै बड़ी मासूम भोली
भाग्य लिखते हैं विधाता
और जलते स्वप्न होली
बाँधते दायित्व उसको
घूँट कड़वा ही पिया है।
ओह! हृदय स्पर्शी सृजन सखी, एक एक शब्द में नारी मन की पीड़ा छिपी है।
बहुत ही सुन्दर सृजन 🙏
आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया मेरे लिए अमूल्य है सखी रचना सार्थक हुई सहृदय आभार सादर
हटाएंअप्रतिम रचना
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीया दी सादर
हटाएंमार्मिक प्रस्तुति । नारी की गति नारी जाने
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीया आपकी प्रेरणादायक प्रतिक्रिया मेरे लिए अनमोल है सादर
हटाएंमूक बधिरों से जगत में
जवाब देंहटाएंफूँकती वह कितने शंख
वाह! बहुत सुंदर!!!
सहृदय आभार आदरणीय आपकी प्रेरणादायक प्रतिक्रिया मेरे लिए अमूल्य है सादर
हटाएंबहुत सुंदर यथार्थ गीत रचा सखी।
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार सखी आपकी प्रेरणादायक प्रतिक्रिया पाकर रचना सार्थक हुई सादर
हटाएंइस काव्य-रचना की प्रशंसा हेतु मेरे कोष में पर्याप्त शब्द नहीं हैं। स्तरीय सृजन ऐसा ही होता है। अंतिम अंतरा तनिक त्रुटिपूर्ण प्रतीत हुआ। पुनरावलोकन कर लें। वैसे सम्भवतः
जवाब देंहटाएंप्रत्येक स्त्री इस अभिव्यक्ति में अपने जीवन का प्रतिबिम्ब देख सकती है। अभिनंदन आपका।
Very true
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार
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