पिपासा मन की

पिपासा जागती है तो बड़ा तड़पाती है।
प्रेम या भक्ति की हो मन ललचाती है
चैन नहीं आता और नींद उड़ जाती है।
अभीष्ट को पाने की चाह बढ़ जाती है।

लोभ के शिकंजे में,मन फँस जाता है।
जिंदगी में कभी तृप्त नहीं हो पाता है।
लोभ की पिपासा भ्रष्टाचार पनपाती है।
बुद्धि-विवेक को वह चाट जाती है।

कामवासना में नर तन जब डूबता है।
भले-बुरे का सब भेद वह भूलता है।
पिपासा उसकी बलवती ऐसी होती है।
मानवता भी सिर धुनकर के रोती है।

मन में पिपासा ज्ञान की तो जगाइए।
अंधकार अज्ञान को दूर तो भगाइए।
खोलिए खिड़कियां सत्य को निहारिए।
मन से माया-मोह तनिक तो बुहारिए।

काम क्रोध लोभ मोह शत्रु सम जानिए।
पिपासा को इनकी पैदा होते ही मारिए।
प्रभु भक्ति में सदा तन-मन को रमाइए।
जीवन के लक्ष्य को ऐसे न गँवाइए।

अभिलाषा चौहान
स्वरचित मौलिक



टिप्पणियाँ

  1. भर्तृहरि, कबीर से लेकर अभिलाषा जी जो भी कहें, हम सुन लेते हैं किन्तु ये दुष्ट पिपासा, ये कमबख्त तृष्णा, कभी बुझती ही नहीं.

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    उत्तर
    1. Gopesh Mohan Jaswal आदरणीय सर आप कहाँ मेरी तुलना महान साहित्यकारों से कर रहें हैं , मैं तो उनके पैरों की धूल भी नहीं हूं।हाँ कबीर को बहुत पढ़ा है ,आत्मा में रच-बस गए हैं ,लिखने कुछ चलती हूँ ,जब पूरा करती हूं तो लगता है कि
      उनकी वाणी ही बोलने लगी।मुझ अल्पज्ञ को कहाँ
      इतना ज्ञान वैसे हूँ मैं फक्कड़ स्वभाव की ।न कोई चाह है मन में न कुछ पाने की लालसा।बस पल को जीना चाहती हूं तो अज्ञेय याद आ जाते हैं।
      वैसे आपकी प्रतिक्रिया बड़ी ही प्रेरणादायक होती है।🌷🙏🌷🙏

      हटाएं
  2. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार (१८ -०१ -२०२०) को "शब्द-सृजन"- 4 (चर्चा अंक -३५८४) पर भी होगी।
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    -अनीता सैनी

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  3. मन में पिपासा ज्ञान की तो जगाइए।
    अंधकार अज्ञान को दूर तो भगाइए।
    खोलिए खिड़कियां सत्य को निहारिए।
    मन से माया-मोह तनिक तो बुहारिए।
    सच कहा ज्ञान की पिपासा जगाकर अज्ञान के अंधकार से निकल जीवन को सफल बनाया जा सकता है...बहुत ही सुन्दर सीख देती सटीक सार्थक रचना।
    वाह!!!

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    उत्तर
    1. सहृदय आभार सखी सादर ,आपकी प्रतिक्रिया पाकर सृजन सफल हुआ🙏🌷

      हटाएं
  4. सुन्दर मनोभावों को उजागर करती प्रभावशाली रचना। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया ।

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    उत्तर
    1. सहृदय आभार आदरणीय 🙏🌷 उत्तम प्रतिक्रिया
      पाकर मनोबल में वृद्धि हुई।🙏🌷

      हटाएं
  5. सुन्दर और ज्ञानवर्धक भावों से सजी बहुत सुन्दर रचना सखी👌👌.

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