मातृदिवस पर मेरी भावनाएं

'मां' जिसके बिना अस्तित्व की  कल्पना नहीं
की जा सकती।जो कितने कष्ट सहकर शिशु
को जन्म देती है।पीड़ा भोगती है किन्तु यह
पीड़ा उसे मातृसुख देती है, इसलिए वह इस
पीड़ा में भी मुस्कराती है।अपनी संतान का
लालन-पालन करने के लिए रात-दिन एक
कर देती है।उसकी एक ही ख्वाहिश होती है,
कि उसकी संतान को कोई कष्ट न हो,वह एक समर्थ इंसान बने।
वर्षों की तपस्या पूर्ण होती है,संतान समर्थ
बनती है,किंतु मां के त्याग का मूल्य भूल
जाती है। मैं नहीं कहती कि सारी संतानें
ऐसी होती है,पर फिर भी ऐसा आस-पास
देखने में आता है कि वही मां उनके लिए
बंधन और बोझ प्रतीत होती है।जिसने
अपना सुख न देखा,वह सदा अपने दुख में
अकेली होती है।सबकी अपनी जिम्मेदारियां
और मजबूरियां होती हैं,आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में समय का अभाव
भी होता है, लेकिन इसका खामियाजा मां
को ही भुगतना पड़ता है,जिसने अपना सुख-दुख नहीं देखा,जो बुढ़ापे में भी बस अपनी
संतान के सुख की कामना करती है,वही दो
मीठे बोल सुनने को तरसती है,आश्चर्य होता
है मुझे ऐसी संतानों पर ,जिनके लिए अपनी
मजबूरियां मां की तकलीफ़ से बड़ी होती हैं।
जो मां के लिए समय नहीं निकाल पाते,जिसे
उसकी तकलीफ़ में अकेला छोड़ देते हैं,यदि
वे मातृदिवस पर अपनी भावनाओं को ऐसे
व्यक्त करते हैं,तो फिर उनकी समझ पर तरस आता है। प्रेमचंद की 'बूढ़ी काकी'
कहानी आज भी यहां-वहां दोहराई जाती
है।कितना हास्यास्पद है कि जिसने नौ माह
कोख में संतान को रखा और अपने खून
से सींचा,वही अकेली तड़पती हैं और उससे
बात करने का समय संतान के पास नहीं।
उसकी आंखों में उम्मीद के जुगनू सदा
चमकते हैं।संतान कितना भी ग़लत व्यवहार
करे,वह बस दुआएं देती है।संतान की पीड़ा
में सबसे ज्यादा विचलित होती है।मै भी एक
मां हूं,और खुशनसीब हूं कि मेरी संतान को
मेरे सुख-दुख,मेरी भावनाओं का एहसास है,
यदि संतान ही सुख-दुख का एहसास नहीं
करेगी तो बहू या दामाद से उम्मीद करना
बेकार है। अतः मातृदिवस पर मैं यही कामना
करना चाहती हूं कि किसी भी मां का दिल न
दुखे।आप मां के लिए कुछ न करें किन्तु अपने व्यवहार को सदा संयत और मधुर
रखें।उसे अकेला तड़पने के लिए न छोड़ें।
 बेटा हो या बेटी सभी को यही कोशिश
करनी चाहिए ।यही मातृदिवस पर मां के
लिए सच्चा उपहार होगा।

अभिलाषा चौहान

टिप्पणियाँ

  1. मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
    बहुत प्यारी नरन नरम अभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सहृदय आभार सखी, मातृदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🌷

      हटाएं

  2. जी नमस्ते,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (13-05-2019) को

    " परोपकार की शक्ति "(चर्चा अंक- 3334)
    पर भी होगी।

    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    ....
    अनीता सैनी

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सहृदय आभार सखी मातृदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🌷

      हटाएं
  3. बहुत खूब ..माँ का समग्र रूप दर्शाती रचना ,सादर स्नेह सखी ,मातृदिवस की हार्दिक शुभकामनाये

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सहृदय आभार सखी, मातृदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

      हटाएं
  4. मातृदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  5. और कुछ करें ना करें,
    माता-पिता को हम आहत ना करें,
    उतना ही बहुत है.
    नमस्ते.

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सवैया छंद प्रवाह

जिसे देख छाता उल्लास

सवैया छंद- कृष्ण प्रेम