आस्था का संगम



संगम,
दो संस्कृतियों का,
या हो नदियों का,
या विचारधाराओं का,
देता एक नवीनता,
को जन्म।
जिसमें तिरोहित हो जाते,
पुरातनपंथी विचार।
विकास की लिखते,
नयी इबारत।
अनेक संस्कृतियों के,
संगम से,
उत्पन्न वैश्विक संस्कृति,
विश्व को एकता सूत्र
में बांधती।
संगम का पवित्र रूप,
प्रयागराज।
जहां लगा कुंभ,
वैश्विक आकर्षण का केंद्र!
अद्भुत, अद्वितीय!
गंगा, यमुना, सरस्वती
का संगम!
भक्ति,शक्ति,विरक्ति
का अनोखा संगम।
धर्म-संस्कृति का,
अद्भुत दर्शन!
सनातन आस्था का केंद्र!
 देता विश्व को संदेश!
धर्म-संस्कृति,
हैं देश की एकता की नींव,
अखंडता का प्रतीक!
जहां हो जाता,
सभी धर्मों-
जातियों का संगम।
नहीं रहता भेद।
पंच प्रयाग,
जहां होता संगम,
नदियों का।
जो प्रतीक हैं आस्था का,
जहां समाहित हो जाते
सभी मतभेद।
बस दिखता वसुधैव कुटुंबकम्।

अभिलाषा चौहान
स्वरचित

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