वह मीठी मुस्कान
"मुस्कान"कितना प्यारा है ये शब्द।
मनुष्य के व्यवहार का अनिवार्य अंग है
' मुस्कान'।मुस्कान के कई रूप होते हैं।
अलग-अलग अवसरों पर मुस्कान भी
अलग-अलग ही होती है।
सबसे मासूम और निश्छल मुस्कान होती
है,छोटे बच्चों की,एक पल में स्वर्गिक आनन्द
की प्राप्ति करा देती है।सारी थकान और
सारी परेशानी इस मुस्कान में तिरोहित हो
जाती है। जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं और
बाहरी दुनिया से उनका सरोकार होता है,
उनकी मुस्कान में औपचारिकता का समावेश
होने लगता है और हम जैसे दुनियादारी में
फंसे लोग तो अक्सर मुख पर झूठी मुस्कान
लपेटे रहते हैं।ऐसा करने में हम भूल जाते हैं
कि हम सच में कब मुस्कराए थे?
मुझे आज भी याद है ,वह 'मुस्कान'जो मैंने
उस बच्चे के चेहरे पर देखी थी।हुआ यूं कि
मैं दिल्ली से जयपुर लौट रही थी,रास्ते में
कोटपुतली पर बस रूकी,मैंने खिड़की से
बाहर देखा,एक दस-बारह साल का लड़का
मैले-कुचैले कपड़े पहने लोगों से खाने को
मांग रहा था लेकिन किसके पास इतनी
फुर्सत है कि उसकी सुने।मेरे पास दो-तीन
बिस्किट के पैकेट और कुछ संतरे थे,मैंने उसे
बुलाया और पूछा कि' खाने की चीज चाहिए
या पैसे',वह बोला-'कुछ भी'मैंने जो कुछ भी
था,सब उसे दे दिया।उसने बिस्किट खाने शुरू
कर दिए और वह खाते-खाते मुस्कराता और
हाथ हिलाता,जब बस चलने लगी तो वह बस
के साथ-साथ बाय-बाय करते चलने लगा।
मैंने देखा वह मुस्करा रहा था।उसकी
निश्छल मुस्कान देख मेरा मन भीग गया।
पता नहीं किन परिस्थितियों में उसे यह
सब करना पड़ रहा होगा?
उसकी सच्ची मुस्कान देख कर मन
को संतुष्टि हुई कि एक पल के लिए सही मैं
उसके मुख पर मुस्कान ला सकी और उसने
उस एक पल में इतनी आत्मीयता के साथ
एक अनजाना सा संबंध जोड़ लिया कि मुझे
बाय-बाय करने के लिए बस के साथ-साथ
चला,मैंने एक बार खिड़की से सिर निकाल
कर देखा तो वह इधर ही देख रहा था,और
मुझे देख तुरंत मुस्करा उठा।
बस तो अपनी रफ़्तार पकड़ चुकी थी,पर
वह बच्चा मेरे मन में बस गया था।आखिर
क्यों उस बच्चे को दर-बदर भटकना पड़
रहा है?किसने उसे इस हालत में पहुंचाया?
काश,सरकार ऐसे खोए हुए,भीख मांगने
वाले बच्चों के लिए जो "आपरेशन मुस्कान"
चला रही है,उनको ये बच्चा मिल जाए!
भविष्य सुधर जाएगा इसका।
"आपरेशन मुस्कान" केन्द्रीय गृहमंत्रालय के
द्वारा चलाया जा रहा है,जिसका उद्देश्य भीख,
मांगने वाले बच्चों,बाल श्रमिकों,अपहृत
बच्चों ,कचरा बीतने वाले बच्चों को मुक्त
कराकर उनको उनके माता-पिता को
सौंपना या उनका उचित संरक्षण करना है।
इसके तहत अभी तक न जाने कितने
बच्चों की खोई हुई मुस्कान को लौटाया
गया है।इस आपरेशन का एक रूप यह
भी है कि जिन बच्चों के होंठ कटे-फटे
होते हैं,उनको प्लास्टिक सर्जरी के द्वारा
सही करके उनकी वास्तविक मुस्कान
उन्हें लौटायी जाती है,यह कार्य भी
सरकार के द्वारा उचित सहयोग से
सम्पन्न किया जा रहा है।वस्तुत: मेरा
कथन बच्चों की मुस्कान को लेकर था,
इसलिए इसका उल्लेख किया ।मेरे आधे-अधूरे ज्ञान के लिए क्षमाप्रार्थी हूं।
अभिलाषा चौहान
मनुष्य के व्यवहार का अनिवार्य अंग है
' मुस्कान'।मुस्कान के कई रूप होते हैं।
अलग-अलग अवसरों पर मुस्कान भी
अलग-अलग ही होती है।
सबसे मासूम और निश्छल मुस्कान होती
है,छोटे बच्चों की,एक पल में स्वर्गिक आनन्द
की प्राप्ति करा देती है।सारी थकान और
सारी परेशानी इस मुस्कान में तिरोहित हो
जाती है। जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं और
बाहरी दुनिया से उनका सरोकार होता है,
उनकी मुस्कान में औपचारिकता का समावेश
होने लगता है और हम जैसे दुनियादारी में
फंसे लोग तो अक्सर मुख पर झूठी मुस्कान
लपेटे रहते हैं।ऐसा करने में हम भूल जाते हैं
कि हम सच में कब मुस्कराए थे?
मुझे आज भी याद है ,वह 'मुस्कान'जो मैंने
उस बच्चे के चेहरे पर देखी थी।हुआ यूं कि
मैं दिल्ली से जयपुर लौट रही थी,रास्ते में
कोटपुतली पर बस रूकी,मैंने खिड़की से
बाहर देखा,एक दस-बारह साल का लड़का
मैले-कुचैले कपड़े पहने लोगों से खाने को
मांग रहा था लेकिन किसके पास इतनी
फुर्सत है कि उसकी सुने।मेरे पास दो-तीन
बिस्किट के पैकेट और कुछ संतरे थे,मैंने उसे
बुलाया और पूछा कि' खाने की चीज चाहिए
या पैसे',वह बोला-'कुछ भी'मैंने जो कुछ भी
था,सब उसे दे दिया।उसने बिस्किट खाने शुरू
कर दिए और वह खाते-खाते मुस्कराता और
हाथ हिलाता,जब बस चलने लगी तो वह बस
के साथ-साथ बाय-बाय करते चलने लगा।
मैंने देखा वह मुस्करा रहा था।उसकी
निश्छल मुस्कान देख मेरा मन भीग गया।
पता नहीं किन परिस्थितियों में उसे यह
सब करना पड़ रहा होगा?
उसकी सच्ची मुस्कान देख कर मन
को संतुष्टि हुई कि एक पल के लिए सही मैं
उसके मुख पर मुस्कान ला सकी और उसने
उस एक पल में इतनी आत्मीयता के साथ
एक अनजाना सा संबंध जोड़ लिया कि मुझे
बाय-बाय करने के लिए बस के साथ-साथ
चला,मैंने एक बार खिड़की से सिर निकाल
कर देखा तो वह इधर ही देख रहा था,और
मुझे देख तुरंत मुस्करा उठा।
बस तो अपनी रफ़्तार पकड़ चुकी थी,पर
वह बच्चा मेरे मन में बस गया था।आखिर
क्यों उस बच्चे को दर-बदर भटकना पड़
रहा है?किसने उसे इस हालत में पहुंचाया?
काश,सरकार ऐसे खोए हुए,भीख मांगने
वाले बच्चों के लिए जो "आपरेशन मुस्कान"
चला रही है,उनको ये बच्चा मिल जाए!
भविष्य सुधर जाएगा इसका।
"आपरेशन मुस्कान" केन्द्रीय गृहमंत्रालय के
द्वारा चलाया जा रहा है,जिसका उद्देश्य भीख,
मांगने वाले बच्चों,बाल श्रमिकों,अपहृत
बच्चों ,कचरा बीतने वाले बच्चों को मुक्त
कराकर उनको उनके माता-पिता को
सौंपना या उनका उचित संरक्षण करना है।
इसके तहत अभी तक न जाने कितने
बच्चों की खोई हुई मुस्कान को लौटाया
गया है।इस आपरेशन का एक रूप यह
भी है कि जिन बच्चों के होंठ कटे-फटे
होते हैं,उनको प्लास्टिक सर्जरी के द्वारा
सही करके उनकी वास्तविक मुस्कान
उन्हें लौटायी जाती है,यह कार्य भी
सरकार के द्वारा उचित सहयोग से
सम्पन्न किया जा रहा है।वस्तुत: मेरा
कथन बच्चों की मुस्कान को लेकर था,
इसलिए इसका उल्लेख किया ।मेरे आधे-अधूरे ज्ञान के लिए क्षमाप्रार्थी हूं।
अभिलाषा चौहान
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