छठ पर्व

कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से मनता ये त्योहार,
सर्वेभवन्तु सुखिना इस पर्व का है आधार।
त्रेता-द्वापर काल से मनता आ रहा ये पर्व,
चार दिनों तक चलता सूर्योपासना का पर्व।
छठी मैया की करते सूर्यदेव भी उपासना,
सब जन त्योहार मनाएँ होती निर्मल भावना।
निर्जल-निराहार करते सूर्यदेव की साधना,
सुख-समृद्धि संतान प्राप्ति की करें कामना।
नहाय-खाय से आरंभ होता ये पावन त्योहार,
घर-शरीर-मन शुद्धता के साथ आरंभ हरबार ।
गन्ने के रस खीर बना भोग लगा मनाएं खरना,
संध्या में दे अर्घ्य सूर्य को प्रसाद ग्रहण करना।
बांस टोकरी रखे ठेकुआ फल-फूल और मेवा,
संध्या में जल-बीच में सूर्य को दे अर्घ्य करें सेवा
नदी-तालाब किनारे ये पर्व मनाया है जाता,
चार दिन कर उपवास मंगल गीत गाया जाता।
उगते सूर्य को अर्घ्य दूध से पीपल पूजा होती,
पीकर दूध शर्बत परणा विधि पूर्ण होती।
विज्ञान और ज्योतिष से जुड़ा ये पावन पर्व,
रीति-नीति का पालन कर त्योहार मनाए सर्व।

अभिलाषा चौहान
स्वरचित
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