जिन्दगी बेवजह नहीं होती

जिन्दगी बेवजह नहीं होती
अगर होती तो ये जद्दोजहद न होती
आंखों में सिमटी हुई कितनी आशाएं
पलकों में बंद जाने कितने सपने
कोई तो वजह होगी इनके होने की
तभी तो आस जगती है फिर जीने की।

भावों का उमड़ता जो तूफान कहीं
टूटते-बिखरते हैं जज्बात कहीं
कोई हौले-हौले मुस्कराता है
कोई छुप-छुप कर आंसू बहाता है
कोई तो वजह होगी इनके होने की

नफरतों के तूफान भी उमड़ते हैं
मेघ स्नेह के भी बरसते हैं
लोग मिलते हैं फिर बिछड़ते हैं
संबंध बनते हैं फिर बिगड़ते हैं
कोई तो वजह होगी इनके होने की

आंखें करती किसी का इंतजार सदा
नींद नहीं आती है रातों को जरा
चुभती शूलों सी ये खामोशी
हालत होती है जब दीवानों सी
ऐसा बेवजह तो नहीं होता
कोई तो वजह होगी ऐसा होने की।

अभिलाषा चौहान
स्वरचित



टिप्पणियाँ

  1. जिन्दगी बेवजह नहीं होती
    अगर होती तो ये जद्दोजहद न होती
    आंखों में सिमटी हुई कितनी आशाएं
    पलकों में बंद जाने कितने सपने
    कोई तो वजह होगी इनके होने की
    तभी तो आस जगती है फिर जीने की।...बहुत ही सुन्दर सखी
    सादर

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  2. यही जीने का सही मकसद है , जिन्दगी बेवजह नहीं होती

    जवाब देंहटाएं

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